UPSC के कोचिंग गेम में शामिल हो रही हैं राज्य सरकारें- लेकिन बिजनेस नहीं, रणनीति है वजह

ग्रेटर नोएडा: भारत के यूपीएससी के प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स का व्यवसाय लगभग 300 करोड़ रुपये का है और यहां पढ़ाने वाले ज्यादातर टीचर्स बड़े इन्फ्यूलेंसर्स बन गए हैं या फिर बड़े यूट्यूबर्स के तौर पर देखे जाते हैं. लेकिन इतनी ज्यादा फीस होने के कारण गरीब परिवारों से आने वाले छात्र इन कोचिंग्स से वंचित रह जाते हैं. अब, अधिक से अधिक राज्य सरकारें अपने यूपीएससी कोचिंग सेंटर चला रही हैं – व्यवसाय के रूप में नहीं, बल्कि बहुत सारे उम्मीदवारों में विविधता लाने के तरीके के रूप में. सेवारत आईएएस अधिकारियों द्वारा पढ़ाए जाने और फ्री स्टडी मटेरियल देने के बदले छात्रों से कोई फीस नहीं ली जाती.

और यह तरीका शायद काम कर रहा है.

20 साल की दीक्षा सिंह जेवर के रामपुर बांगर में मौजूद अपने घर से 2-3 किलोमीटर पैदल चलकर बस स्टॉप तक पहुंची हैं, जो उन्हें उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के तहत शुरू किए गए नोएडा यूपीएससी कोचिंग सेंटर तक ले जाएगी.

दीक्षा सिंह कहती हैं, ‘मेरे पिता एक किसान हैं, और हमारा परिवार यूपीएससी के लिए प्राइवेट कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकता है. मुझे 31 जुलाई 2022 को इस सरकारी योजना के बारे में पता चला और मैंने अगस्त में कक्षाएं लेनी शुरू की थी.’ दीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय में डिस्टेंस से बी.कॉम की पढ़ाई कर रही हैं, जिससे समय की बचत होती है, इसलिए वह यूपीएससी की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं.

यूपीएससी कोचिंग के काम में प्रवेश करने वाला उत्तर प्रदेश पहला या एकमात्र राज्य नहीं है. पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और केरल समेत भारत में 10 से अधिक राज्य या तो किफायती कोचिंग सेंटर चला रहे हैं या वंचितों को योग्यता-आधारित छात्रवृत्ति प्रदान कर रहे हैं.

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