SGPC और अकाली दल बनाम भगवंत मान — गुरबाणी के प्रसारण पर पंजाब के राजनीतिक टकराव की अंदरूनी कहानी

चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के बीच अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से गुरबाणी के सीधे प्रसारण के अधिकार के मुद्दे पर कई हफ्तों से युद्ध चल रहा है.

मुख्यमंत्री भगवंत मान एक तरफ से लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं और एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी दूसरी तरफ से, इस विवाद ने पंजाब की राजनीति में मुख्य केंद्र ले लिया है और धार्मिक मामलों के प्रबंधन और राजनीतिक दलों और सरकार की भूमिका पर एक व्यापक बहस छेड़ दी है.

टकराव की शुरुआत सीएम मान के 21 मई के ट्वीट से हुई, जिसमें उन्होंने सवाल उठाया कि “समानता के प्रतीक” गुरबाणी के प्रसारण अधिकार केवल एक चैनल को क्यों दिए गए. मान ने सुझाव दिया कि कई चैनलों को गुरबाणी प्रसारित करने की अनुमति दी जानी चाहिए और उनकी सरकार किसी भी आवश्यक लागत को वहन करने को तैयार है.

इस ट्वीट में मान ने जिस चैनल पर निशाना साधा वह पंजाब टेलीविजन चैनल (पीटीसी) था, जिसके मालिक पूर्व डिप्टी सीएम और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल हैं.

पीटीसी का एसजीपीसी के साथ 11 साल का करार है जो उसे स्वर्ण मंदिर से गुरबाणी की ऑडियो-विजुअल फीड प्रसारित करने का विशेष अधिकार देता है. इस विशेषाधिकार के लिए, पीटीसी एसजीपीसी को वार्षिक शुल्क का भुगतान करता है. पंजाब में अकाली दल के सत्ता में रहने के दौरान हस्ताक्षरित अनुबंध इस जुलाई में समाप्त हो रहा है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें