Mumbai Bomb Blast 1993: 257 की मौत, पहले आतंकी हमले की कहानी




Mumbai Bomb Blast 1993: बॉम्बे (जो अब मुंबई है) एक ऐसा शहर है, जो कभी सोया नहीं और जहां सभी को पैसे कमाने का जुनून है। फुटपाथ पर रहने वालों से लेकर चतुर राजनेताओं और टाइकून तक सभी अमीरी की सीढ़ियां चढ़ रहे थे। इसी बीच साल था 1993, जब हर्षद मेहता और उनके साथी सुर्खियों में आए थे।

दूसरी तरफ ‘आतंक’ शब्द कुछ ऐसा माना जाता था, जो सुदूर सीमाओं में होता था। पर 12 मार्च, 1993 की एक गर्म दोपहर को, ‘आतंक’ ने अचानक दस्तक दी। शहर में एक दर्जन बम धमाके हुए। 12 अलग-अलग जगहों पर करीबन 1.30 बजे से ये मंजर शुरू हुआ।

इस हादसे के 100 मिनट बाद, देश की वाणिज्यिक राजधानी अपने घुटनों पर थी। पुलिस ने जांच शुरू की, राजनेताओं ने भाषण दिए और खून से सने पाए गए शवों की संख्या कुल 257 थी (आधिकारिक)। इसके साथ करीबन 1,400 घायल और कुछ अन्य ‘लापता’ हुए।

जल्द ही, यह पता चला कि मुंबई के आतंकवादी विस्फोट ‘बदले की भावना’ से किए गए थे। इसका कारण था दिसंबर 1992 – जनवरी 1993 के सांप्रदायिक दंगे, ये वो समय था जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस सामने आया था।

अपराधी शहर के खूंखार माफिया बदमाश थे। साथ ही कई तरह के पुलिस और सीमा शुल्क अधिकारियों और अज्ञात पाकिस्तानियों की मदद से इन सभी ने देश में घातक और बड़े आतंकी हमले को अंजाम दिया।

1993 में 12 रणनीतिक स्थानों पर बम रखे गए थे। अपराधियों ने चुपचाप चयनित स्थानों पर आरडीएक्स बम लगाए और बाद में ट्रिगर दबा दिया गया। कट्टर मुंबई माफिया ने गुप्त रूप से पाकिस्तान द्वारा समर्थित, 100 मिनट लंबे विस्फोटों को अंजाम दिया।

1993 के बाद, दाऊद इब्राहिम कासकर और इब्राहिम मुश्ताक अब्दुल रज्जाक मेमन, उर्फ ​​’टाइगर मेमन’ जैसे कई प्रमुख अपराधी अभी भी भारतीय कानूनों से दूर हैं।  

1993 के बाद मुंबई ने और आधा दर्जन हमलों का सामना किया। दिसंबर 2002 के घाटकोपर बस बम विस्फोट में दो की मौत, जनवरी 2003 में साइकिल बम विस्फोट में एक की मौत, मार्च 2003 के मुलुंड सबअर्बन ट्रेन विस्फोट में 10 की मौत, चार लोगों की जान जाने की खबर जुलाई 2003 के घाटकोपर में बस बम विस्फोट से आई थी। इसके साथ ही अगस्त 2003 में झवेरी बाजार और गेटवे ऑफ इंडिया को डुअल बम विस्फोटों हिला कर रख दिया था, जिसमें 50 मारे गए थे, जुलाई 2006 में 7 सबअर्बन ट्रेनों में लगाए गए बमों से 209 यात्री मारे गए थे। इसके बाद 2008 के आतंकी हमले ने पूरे देश को एक बड़ा झटका दिया था, हालांकि, इसके बाद मुंबई से केवल एक ही घटना सामने आई है। जुलाई 2011 में ओपेरा हाउस, झवेरी बाजार और दादर में ट्रिपल ब्लास्ट में 26 लोगों की जान चली गई थी।

2008 के बाद से, मुंबई बहुत अधिक सतर्क हो गया है। लोग और जागरूक हो गए हैं। पुलिस और अन्य एजेंसियां ​​भविष्य में किसी तरह के हमले से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार हो चुकी है। फिर भी, 12 मार्च, 1993 के पूरे 30 साल बाद भी, कई लोग जो बम हमलों के गवाह बने या बच गए, अभी भी वो पल याद करके कांप जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *