1987 के मलियाना नरसंहार के प्रमुख गवाह पूछ रहे हैं- क्या मेरे गोली के घाव सबूत नहीं हैं?

मलियाना (मेरठ): मेरठ के बाहरी इलाके में मलियाना गांव की एक संकरी गली में “अहमद टेलर्स” नाम की दुकान के बाहर भीड़ जमा है. 60-वर्षीय वकील अहमद अपनी कमीज़ का कफ मोड़ते हुए अपनी बाजू में लगे गोली के घाव को दिखा रहे हैं और इसके बाद अपनी कमीज़ उठाकर पीठ में एक और घाव दिखा रहे हैं.

भीड़ में से एक व्यक्ति ने टिप्पणी की, “सुबह से यह चौथी बार है जब अहमद ने अपने घाव दिखाए हैं, लेकिन किसलिए?”

मेरठ के मलियाना गांव में अपनी दुकान पर दर्जी वकील अहमद पीठ पर लगी गोलियों के घाव दिखाते हुए | फोटोः प्रवीण जैन | दिप्रिंट

23 मई 1987 के नरसंहार के अहमद पहले अभियोजन गवाह हैं, जिसमें 68 मुसलमानों को एक भीड़ द्वारा मार दिया गया था. इस घटना में उत्तर प्रदेश प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) के कर्मी भी कथित तौर पर शामिल थे.

तीन दशकों में 800 से अधिक अदालती सुनवाई के बाद, जब मेरठ जिला अदालत ने नरसंहार के सभी 41 पुरुषों को रिहा कर दिया, तो मलियाना के निवासियों का दिल पसीज गया. 31 मार्च को पारित फैसले में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश लखविंदर सिंह सूद ने “आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत” की कमी को कारण बताते हुए सभी को बरी कर दिया.

Maliana massacre
मेरठ के मलियाना गांव में दर्जी वकील अहमद अपनी दुकान पर | फोटोः प्रवीण जैन | दिप्रिंट

अदालत की एक सुनवाई को याद करते हुए अहमद ने बताया कि घावों को दिखाने के बावजूद जज लगातार उनसे सबूतों की मांग करते रहे.

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