Chhattisgarh: बस्तर के नालझर गांव में सड़क नहीं बनने से नाराज लोग अब खुद ही हाथों में फावड़ा, गैंती लेकर सड़क बनाने जुटे हैं। पिछले 15 सालों से रोड की मांग करते हुए मंत्रियों, विधायकों और कलेक्टर कार्यालय का चक्कर काटकर थक चुके ग्रामीणों ने अब खुद ही इसे बनाने का फैसला कर लिया है। हर दिन गांव के हर घर से एक-एक सदस्य इस निर्माण काम में शामिल होता है। साथ ही नेताओं के लिए फरमान भी जारी किया गया है कि चुनाव के वक्त वे वोट मांगने गांव न आएं।
गांव तक पहुंचने के लिए नहीं है पक्की सड़क
कोंडागांव-कांकेर जिले की सरहद पर बसे वनग्राम नालाझर की आबादी करीब 300 है। केशकाल ब्लॉक में बसे इस गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है। ग्रामीणों को राशन, स्वास्थ्य, समेत अन्य जरूरी सुविधाओं के लिए पथरीले रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। 108-102 जैसी एंबुलेंस सेवा भी ग्रामीणों को नहीं मिल पाती है।
ग्रामीणों को उठानी पड़ती है परेशानी
सड़क नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनके मुताबिक कई बार केशकाल विधायक संतराम नेताम और कांकेर के विधायक शिशुपाल सोरी के सामने भी मांग रखी गई है। लेकिन, सिर्फ आश्वासन ही दिया गया।
हर दिन कर रहे काम
ग्रामीणों ने बताया कि, जब सरकार हमारी नहीं सुन रही तो अब हमने खुद अपनी समस्याओं को दूर करने की ठानी। गांव के ग्रामीणों ने मिलकर मीटिंग की। फिर सभी ने श्रमदान कर सड़क बनाने का निर्णय लिया। अब पिछले कुछ दिनों से इलाके के ग्रामीण लगातार सड़क बनाने जुटे हैं। इस काम में गांव के महिला-पुरुष से लेकर बच्चे भी करीब 3 से 4 किमी की सड़क बनाने के लिए जुटे हुए हैं।
पहले हुई थी राशि जारी
गांव वालों ने बताया कि करीब 10-11 साल पहले नालाझर को आमपानी, रावस होते हुए कांकेर से जोड़ने के लिए राशि भी जारी की गई थी। लेकिन, वन विभाग ने सही नक्शा नहीं दिया। इसलिए काम आगे नहीं बढ़ पाया। ग्रामीणों ने कहा कि, उसके बाद भी कई बार मांग की गई। लेकिन अफसरों ने अपनी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।
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