हिटलर का प्रशंसक, पुलिस का पोता और कक्षा 11 का छात्र- कैसे UP के 3 युवा गैंग्स के लिए सस्ते शूटर बन गए

प्रतापगढ़/जौनपुर: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में गर्मी का दिन था, मौसम विभाग ने दिन का तापमान 48 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान लगाया था. लेकिन सरवरी बेगम की बेचैनी इस बढ़ी हुई गर्मी के कारण नहीं थी. वह प्रतापगढ़ के बासुपुर गांव में बंजर खेतों के बीच, मौसम की मार झेलती दीवारें वाले अपने घर के एक कमरे में एक खाट पर बैठी थी.

जब दिप्रिंट उनके पास पहुंचा तो वह काफी परेशान दिख रही थी. उन्होंने अपने दोनों हाथों को कसकर पकड़ा हुआ था और उनका एक अगूंठा उनकी कलाई को छू रहा था. उन्होंने हैरानी के साथ पूछा, “क्या उसने फिर से कुछ किया है? क्या वह ठीक है?” 

बेगम अपने बेटे, सद्दाम हुसैन का जिक्र कर रही थीं, जिसे यूपी पुलिस ने दोहरे हत्याकांड और डकैती के आरोप में गिरफ्तार किया था. मार्च 2019 में पुलिस को उसकी किताबों के ढेर के नीचे से एक देसी पिस्तौल मिली थी, जो कथित तौर पर उसकी थी और वह उसके घर में मुंडेर के नीचे दबी हुई थी. 

पुलिस सूत्रों ने कहा कि उसके घर में मिली किताबों में भारत के संविधान की एक प्रति, “मीन कैम्फ” (हिटलर की आत्मकथा) का हिंदी अनुवाद “मेरा संघर्ष’ और तेजी से अंग्रेजी सीखने वाली किताबों की एक सीरीज थी.

सद्दाम, तब 21 साल का था और यूपी के फैजाबाद विश्वविद्यालय में कानून का छात्र था.

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