सूरत हीरा उद्योग में आत्महत्या की समस्या है, पुलिस से लेकर सेठ—कोई भी बिंदुओं को जोड़ना नहीं चाहता

सूरत: हीरा पॉलिश करने वाले वीनू मोरडिया, उनकी पत्नी और उनके चार बच्चों में से दो ने सूरत में एक नहर के पास अपनी ज़िंदगी को खत्म करने का फैसला किया. पिछले दो महीनों में सूरत के हीरा उद्योग में आत्महत्याओं की एक सीरीज़ ने सभी को चिंता में डाल दिया है.

मॉस्को से न्यूयॉर्क तक, बेल्जियम से बीजिंग तक, हीरे और सूरत साथ-साथ चलते हैं, लेकिन पश्चिमी गुजरात के रत्न उद्योग के हलचल भरे हिस्से में सब कुछ ठीक नहीं है, जहां लगभग सात लाख कर्मचारी दुनिया के 80 प्रतिशत हीरे काटते और पॉलिश करते हैं.

सात जून को मोरडिया परिवार की आत्महत्या एक त्रासदी का एक फुटनोट है जो 2018 से सूरत में सामने आ रही है. यह अब बढ़ती प्रयोगशाला हीरा उद्योग की पृष्ठभूमि, कटे और पॉलिश किए गए हीरे की मांग में गिरावट रूस-यूक्रेन युद्ध, भूराजनीतिक तनाव, व्यापार युद्ध और मुद्रा में उतार-चढ़ाव के कारण चरम पर पहुंच रही है. इस वर्ष अप्रैल से जून के पहले सप्ताह के बीच इस हीरा शहर में कथित आत्महत्या की कम से कम आठ ऐसी घटनाएं दर्ज की गई हैं.

लेकिन शहर में कोई भी इन बिंदुओं को जोड़ना नहीं चाहता — पुलिस, अधिकारी और हीरा मालिक इसके लिए डिप्रेशन, कर्ज़ और घरेलू समस्याओं को ज़िम्मेदार ठहराते हैं. कोई भी उद्योग में मंदी और छंटनी के बारे में सच बोलने की हिम्मत नहीं करता.

जिस दिन वीनू और उसके परिवार ने कथित तौर पर एक नहर के पास ज़हर खाया, एक अन्य हीरा कारीगर ने कथित तौर पर तापी नदी पर एक पुल पर खुदकुशी की कोशिश की और कुछ दिनों बाद, पुलिस ने तीसरा आत्महत्या का मामला दर्ज किया.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें