सिकुड़ा हुआ राष्ट्रीय पदचिन्ह, संस्कारी राजनीति, शरद पवार पर निर्भरता—कैसे रहे एनसीपी के 24 वर्ष

मुंबई: कांग्रेस से नाता तोड़कर 1999 में जब शरद पवार ने अपनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन किया, तो वे पार्टी के गांधीवादी वैचारिक जड़ों को दर्शाने के लिए चरखा को अपनी पार्टी के चिन्ह के रूप में चाहते थे.

जब चुनाव आयोग (ईसी) ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया, तो पार्टी ने अपना चिन्ह घड़ी को बनाया.

एनसीपी ने पार्टी के संविधान को अपनाया और 17 जून, 1999 को पहली बार पदाधिकारियों की नियुक्ति की. इसके लिए मुंबई के शनमुखानंद ऑडिटोरियम में सुबह 10:10 बजे बैठक शुरू हुई थी.

और इसलिए, पार्टी के चिन्ह की घड़ी में समय हमेशा 10:10 दिखाया जाता है.

आज 24 साल बाद भी एनसीपी अपने चुनाव चिन्ह की तरह ही रही है—कम से कम जहां तक इसके चुनावी प्रदर्शन का सवाल है, यह समय के साथ जमी हुई है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें