विदेशी दिलरुबा, स्टाईल आइकन, जवां दिलों की धड़कन- कई दिलचस्प पन्ने हैं मर्लिन मुनरो की कहानी में

उर्दू के मशहूर शायर अहमद फ़राज़ लिखते हैं –

                                    रुके तो गर्दिशें उसका तवाफ़ करती हैं,
                                    चले तो उसको ज़माने ठहर के देखते हैं…

चमकदार दस्ताने पहने जब वो अपना बायां हाथ हवा में लहराती हुई किसी मोरनी की लचक को कमर में कैद किए रेड कार्पेट पर वॉक किया करती थीं, तब करीने से खड़े लोगों के दिलों में सैकड़ों तलातुम उठ बैठते थे. उस समय लोगों में उनके चेहरे पर उभरे हुए तिल, उनकी कमान सरीखी भौएं, लबाबदार होंठ, और उनके नज़र के लशकारों की बहुत डिमांड थी.

मर्लिन का जन्म 1 जून 1926 में लॉस ऐंजलस में हुआ था. वो अपनी अविवाहित मां की पहली संतान थी. उनका बचपन पिता के वात्सल्य से वंचित, एक अनाथालय में गुज़रा. मर्लिन ने सोलह साल की उम्र में फ़ोटोग्राफ़र जेम्स डॉगर्टी से विवाह कर लिया. धीरे धीरे वो मॉडलिंग की दुनियां में छाने लगीं. उनकी शोखियों के लोग दीवाने थे. 1953 आते आते मर्लिन हॉलीवुड में बुलंदियां छूने लगीं. हॉलिवुड के लेखक क्रिस्टोफ़र निकेन्स अपनी किताब ‘मर्लिन इन फ़ैशन : द इनड्योरिंग इनफ़्लूएन्स ऑफ़ मर्लिन’ में लिखते हैं-

“जैसे वो पूरी तरह से धुली हुई चमकदार मॉडल से बदलकर हॉलिवुड की जीती जागती कामिनी बनी हों…..
उन्होंने अपने व्यक्तित्व को निखारा और एसे खबसूरती के मापदंड स्थापित किए जो उनकी मृत्यु के इतने समय बाद तक भी जिवंत हैं.”

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