विकास दर पर IMF का अनुमान मायने रखता है, लेकिन पहले विकासशील देशों में बढ़ते कर्ज पर ध्यान देना जरूरी है

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपने नवीनतम वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (डब्ल्यूईओ) में अनुमान लगाया है कि 2023 में वैश्विक स्तर पर और भारत में विकास दर धीमी रहेगी. आईएमएफ का कहना है कि प्रतिकूल झटकों के अलावा आर्थिक दबावों के मद्देनजर अपनाई जाने वाली आक्रामक और सख्त मौद्रिक नीतियों की वजह से ही विकास दर प्रभावित होगी.

अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) के बैंकिंग क्षेत्र में मची उथल-पुथल की हालिया घटना की वजह से जो वित्तीय स्थितियां उपजी हैं, वो विकास की संभावनाओं को और ज्यादा बाधित कर सकती हैं. कर्ज का स्तर ऊंचा रहने की संभावना है. ऐसे में ऋण पुनर्गठन की दिशा में पहल उचित समय पर की जानी चाहिए और इसे राजकोषीय स्थिति के अनुरूप होना चाहिए.

विकास अनुमान: भारत और दुनिया

डब्ल्यूईओ के मुताबिक, भारत चालू वित्त वर्ष में 5.9 प्रतिशत की दर से विकास करेगा. इसमें जनवरी में इसके विकास पूर्वानुमान की तुलना में 20 आधार अंकों (0.2 प्रतिशत) की गिरावट आई है. विकास अनुमानों में खासी कमी आने के बावजूद 2022 में 6.8 प्रतिशत से 2023 में 5.9 प्रतिशत तक, भारत अभी भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है.

ग्राफिक रमनदीप कौर, दिप्रिंट

आईएमएफ ने 2023 में वैश्विक विकास दर 2022 के 3.4 प्रतिशत से गिरकर 2.8 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है. विकास की गति धीमी होने के पीछे मौद्रिक नीति कड़ी होने के साथ-साथ कई झटके, जैसे कोविड-19 महामारी और यूक्रेन पर रूस का हमला आदि, भी जिम्मेदार रहे हैं.

आर्थिक सुस्ती की संभावनाएं उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में अधिक स्पष्ट तरीके से नजर आ रहीं है.

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