लालची डॉक्टरों के रहमोकरम पर बिहार की दलित महिलाएं—2012 में गर्भाशय की लूट, अब किडनी की बारी

मुजफ्फरपुर/समस्तीपुर: सुनीता देवी को 3 सितंबर 2022 को बच्चेदानी/यूटरस (हिस्टेरेक्टॉमी) निकालने के लिए टिन शेड के एक क्लीनिक में ले जाया गया. उसे पेट में नीचे की तरफ लगातार दर्द की शिकायत थी. अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में उनकी राइट ओवरी में सिस्ट इन्फेक्शन होने की बात सामने आई थी. वे जब ऑपरेशन के बाद बाहर आई तो उसके शरीर से बच्चेदानी तो निकाल ही दी गई थी दोनों गुर्दे भी नहीं थे. सुनीता को यह समझने में आठ दिन लग गए कि बेइमान डॉक्टरों ने उनके शरीर को रातों-रात खोखला कर दिया है.

ये है बिहार का ताज़ा मेडिकल घोटाला, भयानक ‘किडनी कांड’, जिसने सबको हैरान कर दिया है.

मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड के बिना लाइसेंस वाले क्लीनिक में सर्जरी के बाद से सुनीता आईसीयू में ही भर्ती हैं, जिसे हफ्ते में हर दूसरे दिन डायलिसिस कर के ज़िंदा रखा जाता है.

अब सुनीता भी उन महिलाओं के साथ जुड़ गई है जिनका एक दशक पहले शरीर का अंग चोरी कर लिया गया था. सुनीता की कहानी समस्तीपुर की गुड़िया जैसी ही है. मुजफ्फरपुर से कुछ 55 किलोमीटर दूर समस्तीपुर के केशोपट्टी गांव की गुड़िया देवी का भी एक दशक पहले शरीर का अंग ऐसे ही डॉक्टरों ने लूट लिया था.

2011 और 2012 के बीच, समस्तीपुर, गोपालगंज, सारण और बिहार के कई जिलों में लगभग 700 महिलाओं की बच्चेदानी को दलालों ने चुरा लिया था और डॉक्टर छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज कर रहे थे. ‘किडनी कांड’ के रूप में डॉक्टरों के मैलफंक्शनिंग स्कैम में पीड़ित महिलाएं आज भी न्याय की बाट जोह रही हैं और राज्य, अस्पताल प्रशासन पुलिस और अदालतों के चक्कर लगा रही हैं. इस मामले में लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व प्रमुख दिवंगत रामविलास पासवान ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग की थी, जबकि राज्य के तत्कालीन श्रम मंत्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने बीबीसी को बताया था कि इस कांड को घोटाला नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसमें शामिल धन की राशि बहुत बड़ी नहीं है.

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