‘लड़कियां अखाड़ों से गायब हो गई हैं’— पहलवानों के प्रति सरकार के रवैये से हरियाणा में लोग नाराज़

चंडीगढ़: दयानंद ढाका (45) ने जब युवावस्था में कबड्डी को अपनाया तब ये उनके लिए सिर्फ एक खेल नहीं था. कुछ सालों बाद ढाका ने साथी ग्रामीणों की मदद से —हरियाणा के कीर्तन गांव में श्मशान के पास की ज़मीन के एक हिस्से को ट्रेनिंग करने के लिए जगह की तलाश कर रहे युवा लड़कों और लड़कियों के लिए एक अस्थायी स्टेडियम में तब्दील कर दिया.

ये अस्थायी स्टेडियम हिट हो गया. पिछले तीन वर्षों में हर सुबह 100 से अधिक लड़के और 25-30 लड़कियां कबड्डी खेलने, कुश्ती की प्रैक्टिस करने, स्प्रिंट स्पर्धाओं, मैराथन और उन अन्य गेम्स के लिए ट्रेनिंग लेने के वास्ते यहां आने लगे, जिसके लिए उन्हें महंगे उपकरणों की ज़रूरत नहीं थी.

2022 में हिसार के कीर्तन गांव की एक लड़की और दो लड़के, जो मेकशिफ्ट स्टेडियम में ट्रेनिंग लेते थे, को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सेना में भर्ती किया गया.

ढाका ने कहा, “यह अब पहले जैसा नहीं है”, चूंकि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप सामने आए हैं, कई माता-पिता ने अपनी बेटियों को ट्रेनिंग के लिए भेजना बंद कर दिया है.

उन्होंने हिसार मिनी सचिवालय के बाहर दिप्रिंट को बताया, “मैं व्यक्तिगत रूप से कुछ माता-पिता के पास गया, उनसे अनुरोध किया कि वे अपनी बेटियों को इस शारीरिक गतिविधि से वंचित न करें, लेकिन उन्होंने हाथ जोड़कर मना कर दिया.”

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