‘राम भरोसे बिहार में स्कूली बच्चे’, मिड डे मील में कहीं सांप तो कहीं छिपकली, घटिया खाना परोसा जा रहा

पटना: 17 मई को बिहार के छपरा जिले में मिड डे मील में छिपकली मिलने की खबर मिली. इस विषाक्त भोजन को खाने की वजह से 25 से ज्यादा बच्चे बीमार हो गए. 27 मई को अररिया जिला स्थित जोगबनी नगर परिषद के अमौना मिडिल स्कूल में मिड डे मील में बनी खिचड़ी में सांप मिला था. इस खिचड़ी को खाने से 100 से ज्यादा बच्चे बीमार हो गए थे. और फिर 28 मई को सुपौल जिले में मिड डे मील में छिपकली मिलने से हड़कंप मच गया था. इस खाने से करीब 45 बच्चे बीमार हुए. मई 2023 में हुई इन तीन घटनाओं को देखने के बाद लगता है कि बिहार के स्कूलों में मिड डे मील खा रहे बच्चों की सुरक्षा राम भरोसे है.

मिड डे मील और कुछ अहम सवाल

मिड डे मील में लगातार हो रही इस तरह की घटना को लेकर जहां आम लोगों में काफी रोष है वहीं उसके तौर तरीकों पर कई सवाल उठ रहे हैं. 27 मई को अररिया जिला स्थित जोगबनी नगर परिषद के अमौना मिडिल स्कूल में मिड डे मील में बने खिचड़ी में सांप मिला था. इस खिचड़ी को खाने से 100 से ज्यादा बच्चे बीमार हो गए थे. 

पांचवी कक्षा के छात्र शुभम के मुताबिक उस दिन शनिवार था. इसलिए स्कूल में खिचड़ी बनी थी. खाना परोसने के दौरान लक्ष्मी की थाली में छोटे आकार का सांप मिला. फिर शिक्षक ने सभी विद्यार्थियों को खाना खाने से रोक दिया और खाना बंटवाना भी बंद कर दिया. तब तक कुछ बच्चों को उल्टी होने लगी. रसोइया मशरून निसा के मुताबिक लगभग 30 बच्चे खाने के बाद बीमार पड़ गए थे. उन्हें अस्पताल ले जाया गया. सभी छात्र अभी सुरक्षित हैं. 

बच्चों के खाने में ज़हर कैसे पहुंचा?

स्कूल के शिक्षक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि सेंटर फॉर नेशनल डेवलपमेंट यूनी सेटिंव नाम की एक एनजीओ बच्चों के लिए खाना बनाती है. वो कहते हैं, “खाना स्कूल में एनजीओ द्वारा ही बनाया जाता है. स्कूल का रसोइया सिर्फ बच्चों को खाना पड़ोसता है. लेकिन इस तरह की घटना के बाद परेशानी हम लोगों को झेलनी पड़ती है. ग्रामीणों के द्वारा हमारे साथ मार-पीट भी की गई थी. इस एनजीओ के प्रोपराइटर अरुण जेपी दिल्ली में रहते हैं. जब स्कूल में खाना बनता था, तब इस तरह की घटना काफी कम होती थी.” 

शिक्षक के मुताबिक स्कूल में कोई प्राथमिक उपचार किट नहीं थी. सांप मिलने के तुरंत बाद हमने सभी बच्चों को छुट्टी दे दी और खाना खा चुके बच्चों के लिए मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई. कुछ स्थानीय समाजसेवी और नेताओं ने भी मदद की. कुछ ग्रामीणों के द्वारा आक्रोश में हो हल्ला भी किया गया.

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