मोदी के विजन के लिए नेहरू की विरासत, प्रगति मैदान का जी-20 के लिए मेकओवर पूरा होने की कगार पर

नई दिल्ली: दिल्ली के प्रतिष्ठित प्रगति मैदान की पिरामिड शैली की इमारतें एक समय नेहरूवादी ‘आधुनिक भारत’ के गौरवपूर्ण प्रतीक के रूप में खड़ी थीं, लेकिन ये अब सिर्फ यादों में रह गई हैं, क्योंकि 2017 में स्मारकों की एक नई पीढ़ी को रास्ता देने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नया भारत’ या न्यू इंडिया को दर्शाने के लिए इन्हें धराशायी कर दिया गया था.

प्रगति मैदान के नए भवनों का काम सितंबर में बहुप्रतीक्षित जी-20 शिखर सम्मेलन के करीब आने के साथ ही पूरा होने के करीब हैं.

केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के तहत नोडल एजेंसी, भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईपीटीओ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, प्रगति मैदान की पहचान अब भव्य अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) और महत्वाकांक्षी एकीकृत ट्रांजिट कॉरिडोर (आईटीसी) के नाम से जानी जाएगी और इनका काम इस महीने के अंत तक समाप्त होने की उम्मीद है.

आईटीपीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “प्रगति मैदान परंपरागत रूप से शहर के परिदृश्य का एक प्रमुख हिस्सा रहा है, लेकिन वर्षों से अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए आधुनिकीकरण और सुविधाओं को अपग्रेड करने की आवश्यकता थी. अब हमारे पास ऐसी सुविधाएं आ रही हैं, जिसमें पूरी तरह से वातानुकूलित प्रदर्शनी सभागार और सम्मेलन केंद्र भी शामिल है.”

प्रगति मैदान के निर्माणाधीन कन्वेंशन सेंटर का एक नज़ारा जो मई 2023 में खुलने वाला है | मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

पिछली सहस्राब्दी में दिल्ली में पले-बढ़े लोगों के लिए प्रगति मैदान की पहचना कर पाना अब सच में मुश्किल है—पिरामिड नेहरू मंडप, हॉल ऑफ इंडस्ट्रीज, हॉल ऑफ नेशंस यहां तक कि 2008 तक बहुचर्चित रहा मनोरंजन पार्क अप्पू घर भी अब यहां नहीं है, लेकिन इस क्षेत्र में पहले भी परिवर्तन देखा गया है, यह देखते हुए कि प्रगति मैदान का इतिहास आज़ादी से पहले का है.

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