मिलिए दिप्रिंट के उन पत्रकारों से जो शब्दों से नहीं खेलते बल्कि उनकी आवाज है- चार्ट, ग्राफ्स, इलस्ट्रेशन

चेतावनी: यह रीडर्स एडिटर पीस अन्य लेखो से अलग और ग्राफिक्स से भरा हुआ हो सकता है.

इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि मैं आपके सामने कोई सनसनीखेज चित्र पेश करने जा रही हूं, इसलिए अपनी आंखों को ढकें नहीं. बल्कि सोहम, रमनदीप, मनीषा और प्रज्ञा अपने चित्रण में क्या कहते हैं या क्या कहना चाहते हैं, यह मैं आपको शब्दों में बताने की कोशिश करूंगी.

दिप्रिंट के ये ग्राफिक्स कलाकार कहानियों को चित्रित करते हैं; लेकिन उनका काम मूड और रंगों को भी व्यक्त करता है, क्योंकि कभी कभी एक स्टोरी या फिर फोटो अपनी पूरी बात कहने में असर्मथ होती है.

एक ग्राफिक, एक चित्रण, एक चार्ट, एक आसान शब्दों में दी गई तालिका सीधे तौर पर अपनी बात आपको सरल और साधारण से साधारण शब्दों में और कुछ समय में ही समझा देते हैं. उन्हें देखते ही आपको विषय के बारे में पता चल जाता है. और जब इसके साथ तस्वीरों के साथ जोड़ दिया जाता है, तो वे सचमुच स्क्रीन को और चमका देते हैं.

हां इस बात में कोई दो राय नहीं कि जब वे बहुत अधिक जोर से बोलते हैं, या जब वे बहुत एक्सप्लेन करते हैं तो वे भ्रमित कर देते हैं और उसमें लिखे शब्द को अभिभूत कर देते हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

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