मऊ से 5 बार विधायक रहे, कांग्रेस और सेना से रहा है नाता

नई दिल्ली: गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद जिस व्यक्ति का नाम सबसे अधिक आजकल चर्चा में हैं वह है मुख्तार अंसारी. मुख्तार भी अतीक की तरह गैंगस्टर से नेता बने हैं. मऊ सदर सीट से पांच बार विधायक रहे मुख्तार आजकल उत्तरप्रदेश के बांदा जेल में बंद है. आइए नजर डालते हैं मुख्तार के जीवन पर.

काफी प्रतिष्ठित परिवार के आते हैं मुख्तार अंसारी

30 जून 1963 को  मुख्तार का जन्म एक प्रतिष्ठित परिवार में उत्तरप्रदेश के गाजीपुर में हुआ था. मुख्तार के पिता का सुबानुल्लाह अंसारी और माता का नाम बेगम राबिया था. मुख्तार के पिता अपने क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित कम्युनिस्ट नेता थे. इलाके में उनकी प्रतिष्ठा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह गाजीपुर नगर पालिका के अध्यक्ष का चुनाव निर्दलीय जीते थे. मुख्तार के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे और साल 1926-27 के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले वह मुस्लिम लीग में भी रह चुके थे.  मुख्तार के दादा जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रह चुके हैं. उनकी लोकप्रियता का पता इससे चलता है कि पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में उनके नाम से ‘अंसारी रोड’ और दक्षिणी दिल्ली में उनके नाम पर ‘अंसारी नगर’ है. मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी थे जिन्हें बाद मरणोप्रांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी को  ‘नौशेरा का लड़ाई’ में उनकी वीरता के लिए याद किया जाता है. इसके अलावा पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के परिवार से ही हैं.

मुख्तार का शुरुआती जीवन

अगर बात मुख्तार के शुरुआती जीवन की करें तो मुख्तार की शुरुआती पढ़ाई गाजीपुर से ही हुई. गाजीपुर के पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मुख्तार ने छात्र राजनीति में कदम रखा. इसी दौरान मुख्तार का सामना राजनीति के साथ-साथ आपराधिक दुनिया से हुआ. मुख्तार ने अपना ग्रेजुएशन 1984 में पूरा किया था.

अगर बात मुख्तार के आपराधिक इतिहास पर करें तो सबसे पहले मुख्तार का नाम साल 1987 में एक हत्या के मामले में सामने आया. मंडी परिषद की ठेकेदारी के झगड़े में सच्चिदानंद राय की हत्या हुई और इसमें मुख्तार का नाम सामने आया. उसके बाद साल 1988 में रामनारायण राय की हत्या हुई जिसमें भी मुख्तार का नाम सामने आया.  साल 1991 में मुख्तार पुलिस की गिरफ्त में आया, लेकिन गिरफ्तारी के दौरान वह दो पुलिस वालों को गोली मारकर फरार हो गया था. बाद में पुलिस मुख्तार के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं जुटा सकी थी जिसके कारण उन्हें छोड़ दिया गया था. इसके बाद आते हैं 2005 में. 2005 में दो महत्वपूर्ण घटना हुई. 2005 के सितंबर में मऊ में दंगा भड़का जिसमें मुख्तार बंधुओं का नाम सामने आया. बाद में दोनों को इसका आरोपी बनाया गया. मऊ दंगे के वक्त ही मुख्तार की एके-47 के साथ खुली जीप में तस्वीर वायरल हुई थी. मऊ दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर में सरेंडर किया था. बता दें कि मुख्तार के सरेंडर करने के एक महीने बाद ही बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई थी. गाजीपुर की मुहम्मदाबाद सीट से विधायक कृष्णानंद राय को 29 नवंबर 2005 को गोलियों से छलनी कर दिया गया था. कृष्णानंद राय ने मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी को 2002 के विधानसभा चुनाव में हराया था. साथ ही कृष्णानंद राय उस वक्त मुख्तार के सबसे बड़े दुश्मन ब्रजेश सिंह की मदद भी कर रहे थे. कृष्णानंद राय के साथ छह और लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में मुख्तार का नाम सामने आया. इस हत्याकांड के लिए मुख्तार ने जेल में बैठकर शूटर मुन्ना बजरंगी की मदद ली थी जिसकी साल 2018 में उत्तरप्रदेश के बागपत जेल में हत्या कर दी गई थी.  इस हमले का एक महत्वपूर्ण गवाह शशिकांत राय की साल 2006 में रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी. इस हत्याकांड में भी मुख्तार का नाम सामने आया था.

इसके बाद 2008 में अंसारी पर धर्मेंद्र सिंह की हत्या करने और साल 2009 में कपिलदेव सिंह की हत्या के आरोप भी लगे. जेल जाने के बाद मुख्तार पर 10 हत्याओं के आरोप लगे.

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