भारत नहीं है पुरुषों और एलीट्स का खेल, बिहार के गांव की स्वीटी, ब्यूटी, सपना मैदान पर राज करती हैं

बाढ़/नालंदा: पटना के बिग अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल की सातवीं मंजिल पर एक बिस्तर से, 19 वर्षीय आरती कुमारी खिड़की से बाहर देखती है. एक अंतरराष्ट्रीय रग्बी स्टार, वह अब अपने घुटने में चोटिल हुए लिगामेंट को ठीक करने के लिए एक दर्दनाक रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी से उबर रही है. हालांकि, उसका मन कोलकाता के राष्ट्रीय रग्बी शिविर में अटका पड़ा है जिसकी उसे याद आ रही है.

लेकिन उसके पिता के पास उसके लिए खुशखबरी है.

“अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ी अब सीधे एसडीओ और डीएसपी बनेंगे.” हेडलाइन पढ़ते ही संजय कुमार की आंखों में चमक आ गई. कुछ ही पलों में अस्पताल का कमरा खुशी से भर जाता है. आरती अपने व्हाट्सएप स्टोरी पर न्यूज क्लिप को पोस्ट करती है.

गर्व से भरे हुए पिता ने तुरंत कुछ रिश्तेदारों को फोन किया. वह सुरक्षा गार्डों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों को यह कहते हुए फर्श पर इधर-उधर भागा और पुलिस अधिकारी के लिए हिन्दी शब्द का प्रयोग करते हुए कहा: “मेरी बेटी दरोगा बनने जा रही है.”

नर्स से लेकर गार्ड तक सभी ने उनके साथ जश्न मनाया. वे सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षण को समझ गए थे, शायद उन्होंने अपने जीवन में किसी समय इस सपने को संजोया था. लेकिन जो उन्हें समझ नहीं आया वह था रग्बी.

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