भारत के 33% युवा रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण से दूर है, और इनमें ज्यादातर महिलाएं हैं

नई दिल्ली: सरकार के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की तरफ से इस महीने के शुरू में जारी नवीनतम मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे (एमआईएस) के मुताबिक, 15 से 29 वर्ष के बीच आयु वर्ग में शामिल हर तीन युवा भारतीयों में से एक शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण से दूर है. और यदि अकेले महिलाओं की बात की जाए तो यह आंकड़ा और भी बदतर हो जाता है.

2021 में 2.76 लाख से अधिक घरों में किए गए सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के राष्ट्रीय संकेतकों पर डेटा जुटाना था, जो लैंगिक असमानता, गरीबी और शिक्षा जैसी विभिन्न वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए 17 उद्देश्यों का एक सेट है.

भारत की बात करें तो शिक्षा, रोजगार, या प्रशिक्षण से बाहर (एनईईटी) युवाओं की संख्या संयुक्त राष्ट्र की तरफ से बताए गए वैश्विक औसत—जो सिर्फ 22 फीसदी है—की तुलना में काफी गंभीर तस्वीर पेश करती है.

लेकिन भारत के आंकड़े के संदर्भ में सबसे उल्लेखनीय पहलू शायद लैंगिक अंतर है. 15 से 29 वर्ष के बीच आयु वर्ग की 51.7 प्रतिशत महिलाओं की तुलना में केवल 15.4 प्रतिशत युवा पुरुष एनईईटी के दायरे में आते हैं.

तो, क्या भारतीय महिलाएं सुस्त हैं? कतई नहीं, वे तो बस बिना वेतन घरेलू श्रम करने में बेहद व्यस्त हैं.

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