भारत का $1 ट्रिलियन की डिजिटल अर्थव्यवस्था का सपना, पर 73% युवाओ को बेसिक ईमेल की समझ नहीं : NSSO

नई दिल्ली : भारत 2025 तक एक ट्रिलियन-डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रखता है, लेकिन ज्यादातर युवा भारतीयों को यह भी पता नहीं है कि ई-मेल अटैचमेंट कैसे भेजना है या कंप्यूटर के बाकी बुनियादी कार्यों को कैसे करना है. इस महीने की शुरुआत में जारी राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) की हालिया मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे (MIS) रिपोर्ट से यह बात निकलकर सामने आई है.

सर्वे 20220-21 में किया गया था और इसमें देशभर से कुल 11 लाख से ज्यादा उत्तरदाताओं ने भाग लिया था. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तत्वावधान में NSSO सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के विभिन्न राष्ट्रीय संकेतकों पर डेटा एकत्र करना है. इन विकास लक्ष्यों में आर्थिक विकास हासिल करना, जलवायु परिवर्तन ध्यान में रखते हुए और पर्यावरण संरक्षण की देखभाल करते हुए सामाजिक जरूरतों को पूरा करना शामिल है.

15-29 उम्र के बीच के लोगों के सूचना और संचार तकनीक (आईसीटी) कौशल का पता लगाने के लिए सर्वे ने उत्तरदाताओं से खुद से यह बताने के लिए कहा कि क्या वे कंप्यूटर पर नौ गतिविधियां कर सकते हैं. रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि कितने उत्तरदाता इस आयु वर्ग के अंतर्गत आते थे.

सवालों के एक सेट के जवाब में ज्यादातर प्रतिभागियों ने अपेक्षाकृत नियमित कार्य करने में असमर्थता का संकेत दिया. बमुश्किल 27 फीसदी ने कहा कि वे अटैचमेंट के साथ ई-मेल भेजना जानते हैं, सिर्फ 10 प्रतिशत ने कहा कि वे स्प्रेडशीट में बुनियादी अंकगणितीय सूत्रों का उपयोग कर सकते हैं और महज 9 फीसदी युवा ऐसे थे जो किसी भी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके ई-प्रेजेंटेशन बनाने में माहिर थे.

इसकी तुलना में कंप्यूटर पर किए जाने वाले मुश्किल कामों के लिए संख्या और भी निराशाजनक थी. ये ऐसे काम हैं जिन्हें करने के लिए स्पेशलाइज्ड नॉलेज का होना जरूरी होता है. उदाहरण के लिए 97 फीसदी से ज्यादा उत्तरदाताओं ने कहा कि वे नहीं जानते कि प्रोग्रामिंग भाषा का कैसे इस्तेमाल किया जाता है और कंप्यूटर प्रोग्राम कैसे लिखा जाता है.

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