बॉलीवुड जैसी शादी नहीं- HP के गांवों ने स्थानीय परंपराएं बनाए रखने के लिए मेहंदी, सेहरा पर लगाई पाबंदी

शिमला: चमकदार लहंगे से लेकर पैसों के लिए दूल्हे के जूते चुराने तक, उत्तर भारत में अधिकांश शादियां पंजाबी संस्कृति और बॉलीवुड से प्रेरित नजर आती हैं. लेकिन हिमाचल प्रदेश के आदिवासी बहुल किन्नौर जिले—जो तिब्बत और स्पीति घाटी की सीमा से सटा है—के एक गांव में ऐसा कुछ भी नहीं चलता.

सुमरा की ग्राम पंचायत की तरफ से 10 मार्च को पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘हम मेहंदी की रस्में, जूता छिपाई, केक काटे जाने और दूल्हे के सेहरा बांधने जैसे नए चलन देख रहे हैं, जो हमारी संस्कृति के खिलाफ हैं. अब इस तिथि के बाद इन रस्मों को प्रतिबंधित किया जाता है.’ सुमरा गांव के अधिकांश निवासी मूल रूप से किन्नौरी जनजाति के हैं.

दस्तावेज हिंदी में लिखा गया है और इसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है. इसमें बताया गया है कि प्रस्ताव ‘सर्वसम्मति से’ पारित किया गया है.

सुमरा किन्नौर जिले की चट्टानी हंगरंग घाटी में स्थित है, जो तिब्बत की सीमा से सटी है. क्षेत्र के अधिकांश निवासी किन्नौरी जैसी स्थानीय जनजातियों से आते हैं, जिनकी संस्कृति हिंदू, बौद्ध और स्वदेशी मान्यताओं और प्रथाओं का एक अनूठा मिश्रण है.

सुमरा ग्राम पंचायत के उपाध्यक्ष छेरिंग (वह अपने उपनाम का इस्तेमाल नहीं करते) ने दिप्रिंट को फोन पर बताया कि गांव में लगभग 80 घर हैं और लगभग 300 की आबादी है.

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