‘बिल्कुल भी भरोसा नहीं’ नीतीश सरकार के फैसले का विरोध क्यों कर रहे हैं बिहार के लाखों शिक्षक

पटना: राजीव रंजन रविवार सुबह 5 बजे पटना की अपनी 150 किलोमीटर लंबी ट्रेन यात्रा करने के लिए मोतिहारी स्थित अपने घर से निकले. इस यात्रा में वे अकेले नहीं थे बल्कि उनके शहर से करीब 15 और लोग उनके साथ थे. वो सभी नीतीश कुमार द्वारा किए गए उस वादे के खिलाफ लड़ाई लड़ने जा रहे थे जो शिक्षकों के लिए निकालने का उन्होंने वादा किया था.

2021 में बिहार राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (एसटीईटी) पास करने के बावजूद राजीव की अभी तक नियुक्ति नहीं हुई है.

16 अप्रैल को पटना के गर्दनीबाग में दिन भर के धरने में शामिल रहे रंजन ने कहा, “हम नियुक्ति पत्र की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन अब हमें फिर से परीक्षा देने के लिए कहा जा रहा है.”

हालांकि, यह सिर्फ राजीव की कहानी नहीं है बल्कि उनके जैसे लगभग 80,000 अन्य शिक्षकों को भी दोबारा परीक्षा देनी होगी, जो अब बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित की जाएगी.

पटना के गर्दनीबाग इलाके में रविवार को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करते शिक्षक व अभ्यर्थी | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

बिहार में पंचायती राज संस्थाओं द्वारा बिना किसी टेस्ट के नियुक्त किए गए करीब 3.5 लाख शिक्षकों को भी सरकारी कर्मचारी का दर्जा चाहिए तो उन्हें दोबारा परीक्षा देनी होगी. 10 अप्रैल को नीतीश कुमार सरकार ने 2006 में उनके द्वारा शुरू की गई प्रणाली को खत्म करके और बिहार राज्य विद्यालय शिक्षक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्यवाही और सेवा शर्तें) नियम 2023 को मंजूरी देकर राज्य के शिक्षकों और उम्मीदवारों को झटका दिया, जिसके तहत केंद्रीय टीईटी पास करने वालों को भी दोबारा परीक्षा देनी होगी.

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