प्रयागराज के फ्लड प्लेन एरिया में गरीबों के ही नहीं अमीरों के भी हैं घर, कैसे ताक पर रखे जा रहे नियम

प्रयागराज : प्रयागराज में किराना दुकान चलाने वाले दीपक केसरवानी फिलहाल खासे परेशान हैं. उनके दो मंजिला मकान में चारों तरफ से सीवेज का पानी घुस गया है. लेकिन उनके लिए यह कोई नई बात नहीं है. मकान के भूतल में पानी भर जाने की समस्या से वह हर साल दो-चार होते आएं है. इसके चलते उनके तीन सदस्यों के परिवार को मानसून के दौरान लगभग एक महीने के लिए पहली मंजिल पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

परेशानी सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती है. गंगा के बाढ़ के मैदानों में बसे नवादा इलाके में अपने घर तक पहुंचने के लिए भी उन्हें खासी मशक्कत करनी पड़ती है. एक संकरे टूटे रास्ते पर चलते हुए हर कदम पर नजर रखनी पड़ती है, वरना दुर्घटना होने में देर नहीं लगेगी. इतनी परेशानियों के बावजूद वह वहां से जाने के लिए तैयार नहीं हैं.

दीपक से जब धूमनगंज, करेली और झूंसी जैसे इलाकों में अवैध घरों को गिराने के लिए चलाए जा रहे विध्वंस अभियान के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने जवाब में कहा, ‘ इस इलाके में कम से कम 50,000 घर हैं. बाढ़ के मैदानों में तो ऐसे लाखों घर बने हैं. मैं अकेला नहीं हूं. कुछ न होगा. अगर बुलडोजर चला, तो सभी के घर टूटेंगे. सरकार हमारे घरों को ऐसे ही नहीं गिरा देगी.’

दरअसल प्रयागराज की जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उनके सहयोगियों की संपत्तियों पर कार्रवाई ने इस बहस को फिर से ताजा कर दिया है कि कैसे गंगा के उच्चतम बाढ़ स्तर के 500 मीटर के दायरे के भीतर निर्माण पर प्रतिबंध लगाने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2011 के आदेश के बावजूद, शहर भर में अवैध कॉलोनियां तेजी से बढ़ी हैं, खासतौर पर बाढ़ वाले मैदानों में.

उत्तर प्रदेश सरकार अतीक अहमद पर नकेल कस रही है. उधर प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने आवास और शहरी नियोजन विभाग को सूचित किया है कि उसने 30,715 अवैध निर्माणों की पहचान की है. यह संख्या राज्य में सबसे अधिक है.

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