प्यू रिसर्च सर्वे का दावा- भारत और अमेरिका में लीगल गर्भपात को लेकर एक जैसा सोचते हैं लोग

नई दिल्ली: गर्भपात के प्रति दृष्टिकोण भारत और अमेरिका में समान है, 59 प्रतिशत भारतीयों और 62 प्रतिशत अमेरिकियों का कहना है कि गर्भावस्था की समाप्ति सभी या अधिकतर मामलों में कानूनी होनी चाहिए, वाशिंगटन-आधारित थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा 20 जून को जारी एक रिपोर्ट में 24 देशों के सर्वेक्षण के जरिए दिखाया गया है.

भारत और अमेरिका के नतीजे पिछले साल दोनों देशों की शीर्ष अदालतों द्वारा गर्भपात पर ऐतिहासिक फैसले जारी करने के मद्देनजर आए हैं.

भारत में, जहां 1971 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के साथ गर्भपात को वैध बनाया गया था, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अविवाहित महिलाओं को कवर करने के लिए अधिनियम का दायरा बढ़ाया. इसके विपरीत, अमेरिका में, शीर्ष अदालत ने जून 2022 में अपने ही दो ऐतिहासिक फैसलों को पलट दिया, जिन्होंने गर्भपात के अधिकारों को बरकरार – रो बनाम वेड (1973) और प्लान्ड पेरेंटहुड बनाम केसी (1992) – रखा था.

थिंक टैंक की रिपोर्ट के अनुसार, 24 देशों में 71 प्रतिशत वयस्कों ने कहा कि गर्भपात सभी या अधिकतर मामलों में वैध होना चाहिए, जबकि 27 प्रतिशत औसत का मानना है कि यह अवैध होना चाहिए.

वरिष्ठ शोधकर्ता जेनेल फेटेरोल्फ और प्यू रिसर्च सेंटर की शोध सहायक लॉरा क्लैंसी ने दिप्रिंट को बताया, “हालांकि भारत में कानूनी गर्भपात के लिए समर्थन उतना अधिक नहीं है जितना हमारे द्वारा सर्वेक्षण किए गए कुछ अन्य देशों में है, हमने 2020 में भारत में किए गए सर्वेक्षण (प्रकाशित 2022) की तुलना में आम जनता के बीच समर्थन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है. यह बदलाव भारत में गर्भपात नियमों में संशोधन के साथ भी मेल खाता है.’

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