पंजाब में 2 रुपये किलो शिमला मिर्च बेचने को मजबूर हैं किसान, बोले- बाजार में 25 रुपये किलो क्यों बिक रहा

मनसा: पंजाब के मनसा जिले के भैणी बाघा गांव में, अंबाला के एक निजी व्यापारी के अधीन काम करने वाले युवक चमकदार, हरी शिमला मिर्च वाले डिब्बों के ट्रक में लदे कार्टन्स को सील कर रहे हैं. प्रत्येक कार्टन का वजन 21 से 23 किलोग्राम के बीच है. उपज गांव में गोरा सिंह के खेत से है और पश्चिम बंगाल की मंडियों में पहुंचाई जा रही है.

किसी भी अच्छे साल में, गोरा सिंह शिमला मिर्च को 25 से 35 रुपये प्रति किलो के बीच में बेच देते हैं. हालांकि, इस साल वह इसे 2 रुपये प्रति किलो के औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं.

हर साल शिमला मिर्च उगाने के लिए अपने 20 एकड़ खेत में से पांच एकड़ जमीन अलग रखने वाले गोरा सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “यह साल अब तक का सबसे खराब साल रहा है. यह लगभग इसे मुफ्त में देने जैसा है. इससे मेरी लागत भी नहीं निकल पाएगी.”

मनसा के भैणी बाघा गांव में शिमला मिर्च किसान गोरा सिंह अपने खेत में सोनल मथारू | दिप्रिंट

किसान संघ के नेता गोरा सिंह ने दिप्रिंट से कहा, उनकी तरह मनसा, बठिंडा और फिरोजपुर के आसपास के 15 गांवों के करीब 2,000 किसानों का भी यही हश्र हो रहा है.

हताश होकर, उनमें से मुट्ठी भर लोग 20 अप्रैल को बठिंडा-मनसा राष्ट्रीय राजमार्ग पर अपने खेतों से पकी शिमला मिर्च से भरे प्लास्टिक की थैलियों के साथ एकत्र हुए और इसे सड़क पर फैला दिया. YouTube पर उस विरोध के वीडियो में ट्रकों और कारों को सब्जी को कुचलते हुए, इसे लुगदी में बदलते हुए दिखाया गया है, जबकि किसान देखते रहे.

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