नाइटलाइफ के लिए असुरक्षित? दिल्ली को 24/7 शहर बनाने की कोशिश धीमी शुरुआत क्यों साबित हो रही है?

नई दिल्ली: बुधवार की रात के 10 बज रहे हैं और दिल्ली के प्रसिद्ध कनॉट प्लेस बाज़ार में भीड़ अब कम होने लगी है. पब, रेस्तरां और पान की छोटी-छोटी दुकानों को छोड़कर ज़्यादातर दुकानें बंद हो चुके हैं. कुछ जो अभी भी खुले हैं वे केवल ग्राहकों के बाहर निकालने का इंतज़ार कर रहे हैं.

दिन भर चहल-पहल वाले बाज़ार को आधी रात के समय एक राहगीर “मृत दृश्य” के रूप में वर्णित करता है—कुछ लोगों के कुछ सुस्त समूहों को छोड़कर, इसकी चौड़ी और बड़ी सड़कें लगभग खाली हैं.

दिल्ली के अन्य व्यावसायिक केंद्रों में भी इस तरह के दृश्य देखने को मिलते हैं—रात 11 बजे तक खान मार्केट में अधिकांश दुकानें बंद हो जाती हैं और इसकी पार्किंग लगभग खाली हो जाती है, जबकि हौज खास गांव के आसपास की सड़कों पर घर जाने वाले ग्राहकों की कतार लग जाती है.

इस हफ्ते की शुरुआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहर की रात की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के वास्ते सरकार की लगातार कोशिशों के तहत 155 प्रतिष्ठानों को 24 घंटे खुले रहने की मंजूरी दी थी—यह उन 314 दुकानों से अलग है जिन्हें अक्टूबर 2022 में मंजूरी मिली थी.

केजरीवाल और उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना दोनों दिल्ली में एक मजबूत रात की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के इच्छुक हैं. इस साल फरवरी में एलजी ने शहर के आतिथ्य उद्योग के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए एक संशोधित एकीकृत पोर्टल की घोषणा की. खबरों के मुताबिक, दिल्ली में रात के समय खुली हवा में भोजन करने की व्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद के वास्ते लाइसेंसिंग आवश्यकताओं की समीक्षा के लिए एक पैनल स्थापित करने के दो महीने बाद ये फैसला आया.

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