तुरंत फैसले, बुनियादी ढांचे पर दबाव; लोकलुभावन वादें और उद्धव की आलोचना—शिंदे-फडणवीस सरकार का एक साल

मुंबई: 28 जून को अपने कार्यालय में एक वर्ष पूरा करने से दो दिन पहले, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने मैराथन कैबिनेट बैठक की, जिसमें कम से कम 31 फैसले लिए गए.

जबकि कार्यवाही सामान्य से थोड़ी अधिक व्यस्त थी, सरकारी अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि बुधवार की बैठक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की शासन शैली को प्रतिबिंबित करती थी.

ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार तात्कालिकता की भावना से प्रेरित है, तेज़ी से फैसले ले रही है, जिसमें कई लोकलुभावन और राजनीतिक विविधताएं भी शामिल हैं.

उदाहरण के लिए उपरोक्त कैबिनेट बैठक में सरकार ने दो शोपीस इन्फ्रा परियोजनाओं का नाम क्रमशः हिंदू विचारक वीर सावरकर और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर और क्लीनिकों का एक सेट शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे के नाम पर रखने का फैसला लिया.

राज्य सरकार में एक महत्वपूर्ण विभाग संभालने वाले एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “फैसले लगभग ऐसे लिए जा रहे हैं जैसे कि कल है ही नहीं.”

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें