जोशीमठ में जोरों-शोरों से चार धाम यात्रा की तैयारी, पर आपदा प्रभावित लोगों की दिक्कते अब भी स्थिर

जोशीमठ: 65 साल की भारती देवी जोशीमठ के लकड़ी और टीन से बने शेल्टर में रहती हैं जहां कुछ महीनों पहले तक खच्चर रहा करते थे. जहां खच्चरों के लिए खाना डाला जाता था अब वहां खाना बनाती हैं. जनवरी में उनके घर में आई दरारों के बाद उनका जीवन इसी तरह चल रहा है. उनकी तरह सैंकड़ों लोग हैं जो शेल्टर्स, होटल्स और गेस्ट हाउस में रह रहे हैं और अपने घरों से बेघर होने के बाद से मुआवजे की लड़ाई लड़ रहे हैं. वे अपने घर नहीं लौट सकते क्योंकि वे सुरक्षित नहीं हैं.

लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा जोशीमठ को चार धाम यात्रा के लिए सुरक्षित घोषित किए जाने के बाद विस्थापितों में नई चिंताएं पैदा हो रही हैं.

इन शेल्टर से सिर्फ दो किलोमीटर दूर स्थानीय बाजार में चार धाम यात्रा को लेकर उत्सव का माहौल है और 50 लाख पर्यटकों के आने का अनुमान है. बद्रीनाथ जाने वालो के लिए जोशीमठ एक स्टॉपेज है जहां लोग सुस्ताने के लिए रुकते हैं. जोशीमठ के बाजारों कारपेंटर बेड बना रहे हैं, होटलों की मरम्मत की जा रही है और दुकानदार अपनी दुकानों में स्टॉक भर रहे हैं.

जोशीमठ के निवासियों के विचार इसको लेकर बंटे हुए हैं.

अभी तीन महीने ही हुए हैं जब भू-धंसाव ने इस कस्बे को हिला दिया था और 800 से अधिक घरों में दरारें आ गईं थी. आखिरी दरार 5 फरवरी को बताई गई थी. अब यात्रा 22 अप्रैल से शुरू होने वाली है और बद्रीनाथ मंदिर 27 अप्रैल को खुलेगा. धामी ने कहा कि तीर्थयात्रियों की संख्या पिछले रिकॉर्ड तोड़ देगी.

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