चीन है दुनिया के लिए चुनौती, क्या उसके खिलाफ लामबंद हो रहीं बड़ी ताकतें

चीन के ऊहान शहर से दुनिया भर में कोरोना महामारी फैलने के बाद दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के अलावा ताइवान, हांगकांग, दक्षिण चीन सागर और भारत से लगे पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाकों में चीन ने जो दादागीरी दिखाई, उससे पूरा विश्व सहम गया है. जैसे किसी मुहल्ले में किसी ताकतवर की मनमानी रोकने के लिए मोहल्ले के अन्य प्रभावशाली लोगों को एकजुट होकर उसका मुकाबला करना होता है, उसी तरह चीन के खिलाफ भी दुनिया के बड़े देशों को इकट्ठा होना पड़ रहा है.

ऐसा नहीं है कि चीन की धौंस से बाकी दुनिया डर गई है, लेकिन चीन को काबू में करने के लिए अकेले किसी बड़े ताकतवर देश के बूते की बात नहीं रह गई है. चीन के विस्तारवादी मंसूबों को काबू में करने के लिए उस पर चौतरफा वार करना होगा.

कोविड-19 महामारी चीन के ऊहान शहर से 2019 के अंत से फैलनी शुरू हुई और पूरी दुनिया को चपेट में लेने के लिए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को जिम्मेदार ठहराने की हिम्मत दिखाई; लेकिन जैसे किसी एक आतंकवादी का मुकाबला करने के लिए बीसियों सुरक्षा बल तैनात करने होते हैं, उसी तरह चीन का मुकाबला करने के लिए भी दुनिया में जनतांत्रिक ताकतों को कई मंचों और संगठनों के जरिए एकजुट होकर चीन के कारनामों और मंसूबों पर चोट करनी होगी.

अधिनायकवादी चीन की विस्तारवादी नीतियों और कदमों को आगे बढ़ने से रोकने के इरादे से ही जनतांत्रिक देशों को विभिन्न संगठनों के जरिए सक्रिय होना पड़ रहा है. चाहे वह क्वाड, यानी चतुर्पक्षीय गुट हो या फिर ‘फाइव आईज’, यानी पाँच जनतांत्रिक देशों का संगठन, जो दुनिया में जनतांत्रिक मान्यताओं पर नजर रखने और इसके संरक्षण के लिए बना है, जिसे ‘एंग्लो-अमेरिकन एलायंस’ भी कहते हैं (इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं), को सक्रिय किया गया है.

6 अक्तूबर, 2020 को तोक्यो में जब क्वाड के विदेश मंत्रियों की तीसरी बैठक हुई थी, तब ‘फाइव आईज’, यानी इसके पाँच साझेदार देशों की भी बैठक हुई थी. इस बैठक में पहली बार भारत को भी आमंत्रित किया गया, जिसमें विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत की अगुवाई की. ‘फाइव आइज’ का उद्देश्य आपस में खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान कर अपने सामूहिक हितों पर नजर रखना और रक्षा करना है. तोक्यो में क्वाड की बैठक का लाभ उठाकर ‘फाइव आईज’ की भी बैठक करना और उसमें भारत को शामिल करना भारत के लिए विशेष अहमियत रखता है.

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