गैर-कानूनी ढंग से US, कनाडा का रुख कर रहे गुजराती युवा, लेकिन जिंदा पहुंचना सबसे बड़ी चुनौती

गांधीनगर: अहमदाबाद से महज 45 किलोमीटर दूर डिंगुचा गांव में एक चाय की दुकान पर 22 साल का युवक बेसब्री से बैठा है. वे अपने ट्रैवल एजेंट से जवाब का इंतज़ार कर रहा है, जिसने उसे आईईएलटीएस (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंगवेज टेस्टिंग सिस्टम) के 6-7 बैंड स्कोर और कनाडा के लिए टूरिस्ट वीजा देने का वादा किया है. संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा में अवैध रूप से युवाओं को फंसाने वाले एजेंटों पर हाल ही में पुलिसिया कार्रवाई से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता. डिंगुचा गांव और भारत छोड़ने की उसकी हताशा, उस जोखिम से अधिक है.

डिंगुचा, गुजरात के गांधीनगर के कलोल तालुका में नारदीपुर, मनासा, मोखासन, इसंद और नंदरी जैसे आसपास के गांवों के साथ, ट्रैवल एजेंटों का एक संपन्न केंद्र है, जो 60 लाख रुपये की शुरुआती कीमत पर न्यूनतम कागज़ी कार्रवाई के साथ वीजा का वादा करते हैं.

एजेंट दशकों से इन गुजराती गांवों के युवाओं को अवैध रूप से अवैध रूप से फंसा रहे थे—अब तक जब उनके ग्राहक बॉडी बैग में वापस आने लगे हैं और रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस इस बात की पड़ताल में जुटी है कि आखिर माजरा है क्या. राज्य के कथित स्थानीय मानव तस्करी नेटवर्क की जांच करने के लिए कनाडा के दो अधिकारियों ने गांधीनगर और अहमदाबाद का दौरा किया.

यह जालसाजों और धोखेबाजों का एक सुस्थापित जाल है.

जनवरी 2022 में अधिकारियों को पहली बार कलोल की अवैध आप्रवासन समस्या के बारे में पता चला, जब डिंगुचा गांव के जगदीश और वैशाली पटेल और उनके दो बच्चे – (एक 11 वर्षीय बेटी और तीन साल का बेटा) अमेरिका और कनाडा सीमा के निकट बर्फ में जमें हुए पाए गए. यह मामला तीन महीने पहले एक बार फिर सुर्खियों में आया जब कलोल गांव के एक व्यक्ति की अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार फांदने की कोशिश के दौरान मौत हो गई.

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