‘गीता प्रेस का शांति में क्या योगदान’, संस्थान को पुरस्कार मिलने से कांग्रेस-BJP में घमासान

नई दिल्ली: गोरखपुर स्थित धार्मिक ग्रंथों की विश्व प्रसिद्ध प्रकाशन संस्था को वर्ष 2021 के लिए ‘गांधी शांति पुरस्कार’ देने की घोषणा के बाद से ये केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर वैचारिक मतभेद शुरू हो गया है.

गीता प्रेस को पुरस्कार देने के लिए कांग्रेस सांसद जयराम रमेश द्वारा केंद्र सरकार की आलोचना के बाद, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज कुमार झा ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी की आलोचना की, जो “18 जून को उचित विचार-विमर्श के बाद 100 साल पुराने प्रकाशक को सम्मानित करने का सर्वसम्मत” निर्णय पर पहुंची.

गीता प्रेस को पुरस्कार देने के ज्यूरी के फैसले पर आपत्ति जताने के लिए आलोचना का जवाब देते हुए मौजूदा और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेताओं ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधा.

वहीं, अमित शाह ने कहा कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिया जाना उसके भगीरथ कार्यों का सम्मान है.

गीता प्रेस के प्रवक्ता आशुतोष उपाध्याय ने दिप्रिंट से कहा, प्रकाशक पुरस्कार का स्वागत करता है और प्रधानमंत्री का आभारी है, लेकिन जूरी के फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

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