The History of Gujia: होली का त्योहार 8 मार्च को मनाया जाएगा. लेकिन रंगों के अलावा इस त्योहार में जिस चीज की सबसे ज्यादा चर्चा होती है वह है गुजिया। होली का त्यौहार गुजिया के बिना अधूरा माना जाता है. लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि होली पर गुजिया खाना क्यों मशहूर है? जिन्होंने इसके इतिहास के बारे में पढ़ा है वो बताते हैं कि गुजिया सबसे पहले 13वीं शताब्दी में अस्तित्व में आई थी। यह समोसा का मीठा संस्करण है, जो मध्य पूर्व से भारत पहुंचा।
गुजिया का इतिहास
गुजिया के इतिहास में कई बातें होती रही हैं. कुछ लोग कहते हैं कि गुजिया टर्किश डिश बक्लावा है। माना जाता है कि गुजिया बनाने की कहानी तुर्की के बाकलावा से जुड़ी है। इसे आटे में ड्राई फ्रूट्स की स्टफिंग से बनाया जाता है. तली हुई और मीठी स्टफिंग के साथ चाँद के आकार की गुजिया भी देखने में बहुत अच्छी लगती है. इसी वजह से गुजिया तुर्की डिश बक्लावा से जुड़ी हुई है।
भारत से जुड़ी कहानी
जब भारत की बात आती है तो ऐसा माना जाता है कि गुजिया बुंदेलखंड या ब्रज क्षेत्र की होती है। आपको बता दें कि ये भारत के सांस्कृतिक क्षेत्र हैं जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में फैले हुए हैं। वृंदावन का राधा रमण मंदिर 1542 ईस्वी पूर्व का है और यह शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, गुजिया और चंद्रकला आज भी मंदिर के मेन्यू का हिस्सा हैं। शायद यही कनेक्शन है गुजिया और भारत का।
अन्य राज्यों में अलग-अलग नामों से
गुजिया बहुत पुरानी डिश मानी जाती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि गुजिया बहुत आगे निकल चुकी है। इस वजह से यह डिश भारतीय घरों के किचन में भी मशहूर हो गई। वैसे तो गुजिया को देश के राज्यों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। बिहार में इसे पेड़किया, गुजरात में घुघरा और महाराष्ट्र में करंजी के नाम से जाना जाता है।