कैसे बाधाओं को तोड़ रहा त्रिपुरा में लड़कियों का पहला बैंड

नई दिल्ली: मून साहा तब टूट गईं जब उनके पिता ने उनके नए गिटार को दीवार पर पटक दिया. उसने अपने दोपहर के भोजन के पैसे और कपड़े सिलने से होने वाली कमाई से पैसे बचाकर इसे खरीदा था. गिटार बच गया और वर्षों बाद, उसने जो संगीत उसके तार से बजाया, वह त्रिपुरा के पहले ऑल-गर्ल बैंड मेघबालिका का एक अभिन्न हिस्सा था जिसे उसने 2017 में स्थापित किया था.

उसने कहा, “आखिरकार मैंने महीनों बाद गिटार को घर ले जाने की हिम्मत जुटाई थी. मेरे पिता गुस्सा हो गए और गुस्से में उसे पटक दिया. यह किसी तरह बच गया.” 31 साल की साहा अब संगीतकार और बिजनेसवुमन हैं.

इसमें कुछ साल और कुछ बलिदानों से अधिक समय लगा लेकिन 10 सदस्यीय बैंड ने हाल ही में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) द्वारा आयोजित 26 फरवरी को राज्य स्तरीय संगीत प्रतियोगिता जीतने के लिए कई बाधाओं पर विजय प्राप्त की है. बैंड ने पूर्वोत्तक में होने वाले विभिन्न त्योहारों, प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है.

मून ने कहा कि उनकी मां, जो उनके संगीत करियर के लिए अधिक सहायक थीं, हमेशा परिवार के पुरुषों के कड़े विरोध का सामना करने के लिए तैयार नहीं थीं.

समय के साथ जैसे-जैसे अधिक से अधिक लोगों ने टेलीविजन और अन्य जगहों पर उनके प्रदर्शन की प्रशंसा की, उनका परिवार सामने आया. लेकिन पड़ोसियों और परिवार के अन्य सदस्यों की भद्दी टिप्पणियां जारी रहीं. तभी मून ने लड़कियों के एक बैंड के बारे में सोचना शुरू किया, जो स्वीकार्यता की तलाश कर रहा था. 2016 में, उसने अपनी बैंकिंग की नौकरी और ग्रामीण विकास में स्नातकोत्तर प्रोग्राम को छोड़ दिया.

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