Lifestyle: होली में लोगों को रंगों में सबसे ज्यादा मजा गुब्बारों से खेलने में मजा आता है। गुब्बारों को एक-दूसरे पर फेंकने में तब ज्यादा मजा आता है, जब किसी को पता नहीं है। किसी के पीछे या छत से नीचे गुब्बारे मारने में लोगों को ज्यादा मजा लेता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी ये हरकत आपको जेल भी पहुंचा सकती है। जी हां, इस तरह बिना किसी से पूछे किसी पर रंग डालना या गुब्बारे फेंकना दिक्कत बन सकता है और कानून के हिसाब से इसे गैर-कानूनी माना जाता है। तो जानते हैं इस तरह कलर लगाने को लेकर कानून क्या कहता है और किन-किन सेक्शन के तहत लोगों पर कार्रवाई की जा सकती है।
क्या कहता है कानून?
अगर आप किसी राहगीर पर बिना पूछे गुब्बारे फेंकते हैं तो उन पर भी कार्रवाई की जा सकती है। आईपीसी की धारा 188 के तहत उन लोगों पर मुकादमा दर्ज किया जा सकता है, जो राहगीरों की सहमति के बिना उन पर पानी या रंग के गुब्बारे फेंकते हैं। ऐसे में जब भी किसी पर कलर लगाएं तो पहले उनसे परमिशन लेनी जरूरी है।
IPC की धारा 352 के तहत मारपीट का मामला दर्ज
दिल्ली हाईकोर्ट के एडवोकेट मानवेंद्र मुकुल का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति उस व्यक्ति की सहमति के बिना पानी से भरे गुब्बारे या कोई ठोस या तरल पदार्थ दूसरे व्यक्ति पर फेंकता है तो आईपीसी की धारा 352 के तहत मारपीट मामला दर्ज किया जा सकता है, जिसमें 3 महीने की सजा का प्रावधान है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
एक महीने तक जेल या दो सौ रुपये तक का जुर्माना
इसके साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार, किसी को चोट पहुंचाने, जबरदस्ती करने से जुड़े केस में मामला दर्ज किया जा सकता है। इसमें एक महीने तक जेल या दो सौ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों से भी दंडित किया जा सकता है। वहीं, जबरदस्ती रंग लगाने पर महिलाएं भारतीय संहिता की धारा 509 के तहत छेड़खानी की शिकायत कर सकती हैं। इस धारा में दोषी पाए जाने पर दोषी व्यक्ति को एक साल का कारावास या जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
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