पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच अब सीएनजी कारों की मांग तेजी से बढ़ रही है। बजट कारें या यूं कहें कि 10 लाख रुपये से कम कीमत की कार खरीदने वालों की पहली पसंद सीएनजी कारें बनती जा रही हैं। हालांकि अब कंपनियां अपनी प्रीमियम कारों में भी सीएनजी वैरिएंट लाने की तैयारी कर रही हैं। सीएनजी का सबसे बड़ा फायदा कम कीमत में बेहतर माइलेज मिल रहा है।
वहीं कुछ लोग फायदे देखकर भी अपनी पुरानी कारों में सीएनजी किट लगवा लेते हैं। हालांकि इसमें कोई नुकसान नहीं है, लेकिन इसे करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो नुकसान ऐसा हो सकता है, जिसकी भरपाई करना मुश्किल हो जाएगा।
रजिस्ट्रेशन में सीएनजी की जानकारी
कई बार लोग सीएनजी किट तो लगवा लेते हैं लेकिन अपनी कार के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट यानी आरसी में नहीं लगाते। ऐसे में आपका चालान काटा जा सकता है, यहां तक कि आपका वाहन भी सीज किया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि सर्टिफाइड सीएनजी किट लेने के साथ-साथ इसे अपने रजिस्ट्रेशन में भी दर्ज करा लें।
बीमा कंपनी को जानकारी
अगर आपने अपनी कार में सीएनजी किट लगवाई है तो उसे आरसी में दर्ज कराने के साथ ही बीमा कंपनी को भी इसकी सूचना दें और अपनी कार का बीमा बदलवा लें. वहां अपनी कार को सीएनजी कार के तौर पर रजिस्टर करवाएं।
नहीं कराने के नुकसान-
अगर सीएनजी की जानकारी आरसी पर है, लेकिन बीमा पॉलिसी में इसका उल्लेख नहीं है, तो दुर्घटना की स्थिति में बीमा कंपनी क्लेम देगी, लेकिन यह पूरी तरह से प्राप्त नहीं होगा। दावा निपटाया जाएगा और गैर-मानक होगा। इसके लिए कंपनी रकम में 25 फीसदी तक की कमी कर सकती है।
-अगर आरसी में सीएनजी के बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन आपने इसे बीमा में दर्ज कराया है तो क्लेम की स्थिति में यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वे आपको क्लेम की राशि देंगे या नहीं। कुछ कंपनियां ऐसे दावों को सिरे से खारिज कर देती हैं।
-अगर आरसी और बीमा पॉलिसी दोनों में सीएनजी की जानकारी का जिक्र नहीं है तो क्लेम का सवाल ही नहीं उठता। ऐसे में कंपनियां किसी भी तरह के क्लेम को सीधे तौर पर खारिज कर देती हैं।