कभी विंस्टन चर्चिल का पसंदीदा था त्रिची सिगार, आज ‘हाई टैक्सेशन’ के चलते तीन कमरों में सिमट गया है

तिरुचिरापल्ली/तमिलनाडु: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी जर्मनी द्वारा नष्ट गए एक जहाज ने विंस्टन चर्चिल का ध्यान तमिलनाडु के छोटे से शहर तिरुचिरापल्ली या त्रिची की ओर खींचा. हुआ ये था कि जहाज के डूबने के बाद विंस्टन चर्चिल के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ‘क्यूबा सिगार’ आपूर्ति बंद हो गई. 

तभी त्रिची के वोरैयुर इलाके में फेन थॉम्पसन एंड कंपनी की सिगार 10 डाउनिंग स्ट्रीट पहुंची. यह उन्हें इतना पसंद आया कि ब्रिटिश पीएम ने तमिलनाडु के मुख्य सचिव के कार्यालय में एक चर्चिल सिगार असिस्टेंट (सीसीए) भी नियुक्त किया. उनका काम ब्रिटिश पीएम को तिरुचिरापल्ली की सिगार की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना था. इसके बाद से यह नींद भरा शहर सिगार प्रेमी के नक्शे पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रुप में तब्दील हो गया. यहां तक कि ब्रिटिश लेखक आर्थर कॉनन डॉयल और फिल्म निर्माता अल्फ्रेड हिचकॉक ने भी अपनी रचनाओं में त्रिची के सिगार का उल्लेख किया है.

त्रिची स्थित सिगार कंपनी के वर्तमान मालिक के 25 वर्षीय बेटे रत्नावेल कहते हैं, ‘हमारा सिगार, विदेशी सिगार की तुलना में अलग तरह से बनाया जाता है.’ 

वोरैयूर निवासी सोलई थेवर द्वारा स्थापित 123 साल पुरानी सिगार कंपनी अब भारत में सिगार निर्माण की एकमात्र इकाई है. यह त्रिची की ब्रिटिश विरासत की भी याद दिलाता है. पिछले 20 वर्षों में, टैक्स में वृद्धि, कुशल मजदूरों की उपलब्धता की कमी और सस्ते मशीन-निर्मित सिगरेट के बाजार में लोकप्रिय होने के कारण, वोरैयूर में लगभग सभी सिगार निर्माताओं ने अपनी दुकान बंद कर दी है.

क्या इसे अलग बनाता है? 

त्रिची के पश्चिमी भाग में, वोरैयूर की एक सुनसान सड़क के किनारे बनी एक इमारत की पहली मंजिल पर 400 वर्ग फुट के एक कमरे के अंदर तीन आदमी कड़ी मेहनत कर रहे हैं. 48 साल के निज़ाम (बना रहा कारीगर) अपने हॉलक्स और दूसरे पैर के अंगूठे के बीच फर्मेंटेशन की गई पत्ती का एक सिरा पकड़ते हैं और तेजी से पत्ती के मुख्य तने को बाहर निकालते हैं. खुली खिड़कियों वाले इस कमरे में, जहां अच्छी रोशनी आ रही है, अगर आप अधिक देर तक रुकते हैं तो एक तेज गंध आपको मदहोश कर देती है. ये काम कर रहे लोग वी वासुदेवन की फेन थॉम्पसन एंड कंपनी के अंतिम कुशल मजदूर हैं.

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