कचरा बीनने में न बीते जीवन और नशे के लती न बन जाए बच्चे, दिल्ली पुलिस ने शुरू की ‘चौकी में पाठशाला’

“मैं पढ़-लिखकर एक पुलिस ऑफिसर बनूंगा और अपने देश की रक्षा करूंगा. जब मैं पुलिस वाला बन जाऊंगा तो मैं सीमापुरी से नशा खत्म कर दूंगा. मुझे बड़े होकर विनय यादव सर जैसा बनना है और अच्छा काम करना है.”

दिल्ली के सीमापुरी इलाके में दो पुलिस चौकी में कूड़ा चुनने वाले और पूरे दिन इधर उधर भटकने वाले बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. सीमापुरी के ई और एफ ब्लॉक में खोले गए इन दोनों स्कूलों का नाम ‘चौकी में पाठशाला’ रखा गया है क्योंकि इलाके के पुलिस ने स्कूल न जाने वाले बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए चौकी की जगह पर इन बच्चों के लिए स्कूल चलाया रहा है.

ये स्कूल बच्चों की पसंद इसलिए भी है क्योंकि यहां पुलिस वाले अंकल डंडे नहीं मारते हैं बल्कि इन नौनिहालों की मांग भी पूरी करते हैं..पिछले दिनों जब सात साल के अशरफ ने पुलिस वाले अंकल से आइस्क्रीम की डिमांड की तो देखते ही देखते पूरी क्लास के बच्चों को मनपसंद आइस्क्रीम खिलाई गई.

बच्चों की फरमाइशें यहीं खत्म नहीं होती हैं अच्छे अच्छे कपड़ों से लेकर, बढ़िया चप्पल और पंखे तक ये बच्चे अपने पुलिस वाले अंकल से मांग करते हैं और उनकी मांगे पूरी भी की जाती हैं.

सीमापुरी पुलिस थाना के एसएचओ विनय यादव कहते हैं, “हमारे इलाके में किसी भी प्रकार की कोई ओपन लाइब्रेरी नहीं है, चौकी में पाठशाला खुलने से यहां कभी भी कोई भी बच्चा आकर पढ़ सकता है. किसी भी प्रकार के एग्जाम की तैयारी कर सकता है. वो आगे बताते हैं कि चौकी में स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ साथ ऐसे भी बच्चे आते है जो स्कूल नहीं जाते हैं और ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां टीचर्स भी हैं.”

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