औद्योगीकृत G-7 की तुलना में भारत, चीन की अगुआई में BRICS ग्रुप दे रहा है वैश्विक GDP में अधिक योगदान

नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी ने कई मायनों में अभूतपूर्व असर डाला है, जिसमें एक जगह आकर वैश्विक आर्थिक शक्ति की दशा-दिशा ही पूरी तरह बदल गई और विकासशील देशों का पलड़ा भारी हो गया. डेटा दर्शाता है कि 2020 में बदली स्थितियों के बाद से ब्रिक्स देश अब क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) लिहाज से जी-7 औद्योगिक राष्ट्रों की तुलना में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अधिक योगदान कर रहे हैं.

ब्रिक्स देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं, और ये सबसे बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. जी-7 सबसे बड़ी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं का समूह है और इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, जापान, इटली और कनाडा शामिल हैं.

जी-7 देश जहां ऐतिहासिक रूप से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार रहे हैं, वहीं ब्रिक्स राष्ट्र—खासकर चीन और भारत—सबसे अधिक आबादी वाले हैं और आगे भी रहेंगे. जी-7 देशों में दुनिया की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा रहता है, वहीं भारत और चीन ही प्रत्येक में 140-141 करोड़ लोगों के साथ दुनिया की आबादी में लगभग 35 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं.

दिप्रिंट ने सभी देशों में समय के साथ बदलते अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के जीडीपी डेटा का विश्लेषण किया तो पाया कि 1992 के बाद से वैश्विक जीडीपी में जी-7 की हिस्सेदारी लगातार घटती रही है, और ब्रिक्स देशों का योगदान समान रूप से लगातार बढ़ रहा है.

क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) के आधार पर सकल घरेलू उत्पाद की गणना अमेरिकी डॉलर में की जाती है जिससे विभिन्न देशों के बीच तुलना आसान होती है. 1992 पहला साल था जबसे सभी देशों के लिए उपलब्ध डेटा के आधार पर गणना की जाती रही है.

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