उन्नाव में रेपिस्ट ने पीड़िता का घर जलाया, बच्चे को आग में फेंका; सामने गांव में मनाया जमानत का जश्न

उन्नाव, लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गैंगरेप पीड़िता के घर में शाम के वक्त भीड़ जमा हो गई और उसके ईंटों से बने फूस के घर में आग लगा दी, जबकि ग्रामीण चुपचाप खड़े होकर देख रहे थे. कुछ ही मिनट बाद बाहर खाट पर सो रहे दोनों नवजात शिशुओं को आग की लपटों में झोंक दिया गया.

इसके बाद भीड़ सामूहिक बलात्कार का मामला वापस लेने की धमकी देते हुए 14 वर्षीय पीड़िता और उसकी मां को डंडों से पीटने लगी. जहां उसकी मां भीड़ को रोकने के लिए गिड़गिड़ाती रही, वहीं 14 साल की बच्ची मदद के लिए रोते हुए गांव में रेंगती रही. लेकिन सब के सब सूनी आंखों से उसकी तरफ देखते रहे. कुछ ग्रामीणों ने उसे दूर भगाया और उसके चेहरे पर दरवाजा बंद कर दिया.

ये उन्नाव का लाल खेड़ा गांव है. और यह उन कठिन लड़ाइयों की एक लंबी सूची में नवीनतम है जो किशोरी को लड़नी पड़ी है – 13 साल की उम्र में सामूहिक बलात्कार से लेकर, एक बेटे को जन्म देना, अपने बलात्कारियों को जमानत पर आज़ाद घूमते देखना, और फिर केस नहीं वापस लेने की वजह से अपने घर में आग लगते हुए देखना. उसने अकेले के दम पर भारत की टूटी हुई आपराधिक अभियोजन प्रणाली, बेशर्म इम्प्यूनिटी और उदासीनता का मुकाबला किया है. अब, वह अपने गांव में एक पीड़ित को दोष दिए जाने वाली कानाफूसी वाली संस्कृति का भी शिकार है.

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में अपने टूटे हुए और सफेद प्लास्टर से ढके हाथ दिखाते हुए किशोरी ने कहा,”मैंने रहम की भीख मांगी लेकिन उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा और मेरे नवजात बेटे और बहन को आग की लपटों में फेंक दिया.” वह अस्पताल के गलियारों में सफेद पट्टियों में लिपटे अपने बेटे को देखने के लिए आतुर थी जिसके चेहरे का केवल एक भाग दिख रहा था.

उन्नाव 2017 में एक 17 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के सनसनीखेज मामले और न्यायिक हिरासत में उसके पिता की मौत के बाद से उथल-पुथल में है, जिसके कारण भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराया गया था. लेकिन सामूहिक बलात्कार के इस दूसरे मामले ने, जो लंबे समय से लंबित था, तभी ध्यान खींचा जब भीड़ ने परिवार पर हमला किया और दो शिशुओं को आग की लपटों में फेंक दिया.

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