उग्रवाद प्रभावित मणिपुर में म्यांमार के शरणार्थियों के आने से जातीय तनाव फिर से शुरू हो गया है

गुवाहाटी: उग्रवाद प्रभावित मणिपुर में जातीय तनाव बढ़ रहा है, क्योंकि कुछ समूहों का दावा है कि “म्यांमार, नेपाल और बांग्लादेश के गैर कानूनी तौर पर आए माइग्रेंट्स” को देश से निकाले जाने का आंदोलन यहां जोर पकड़ रहा है. राज्य के जातीय मेइती समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले छात्र संगठनों के नेताओं ने सोमवार को मुख्यमंत्री नोंगथोम्बम बीरेन सिंह के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि अप्रवासी “मणिपुर के लोगों” को हाशिए पर डाल रहे हैं.

इम्फाल घाटी में जातीय मैतेई या गैर-आदिवासियों और पहाड़ियों में रहने वाले कूकी आदिवासी समुदायों के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव के साथ-साथ म्यांमार में जुंटा द्वारा चलाए जा रहे प्रतिवाद अभियानों से भाग रहे शरणार्थियों की बढ़ती संख्या से संकट बढ़ गया है. इनमें से कई शरणार्थी एक ही जातीय समूह कुकी-चिन-ज़ोमी-मिज़ो जनजाति के हैं, जो मणिपुर की पहाड़ियों में रहते हैं.

सोमवार को प्रदर्शन कर रहे छह छात्र संगठनों ने राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अपडेट करने और लागू करने और जनसंख्या आयोग के गठन की मांग की.

रविवार को जारी एक बयान में, इन निकायों ने आरोप लगाया कि पहाड़ियों में अप्राकृतिक रूप से जनसंख्या में वृद्धि देखी जा रही है, आरक्षित वन भूमि में नए गांव उभर रहे हैं, और अफीम के बागान नए क्षेत्रों में फैल गए हैं.

“भारतीय सीमाओं के दूसरी ओर से आने वाले बाहरी लोग, विशेष रूप से म्यांमार, जिनके चेहरे मणिपुर वालों से मिलते जुलते हैं, त्वचा का रंग और एक भाषा होने का पूरा फायदा उठा रहे हैं, क्योंकि वे अपने गांवों के निर्माण और डेवल्पमेंट कर रहे हैं, भूमि का अतिक्रमण कर रहे हैं जो पहाड़ियों पर राज्य की भूमि है,” बयान में दावा किया गया, “मणिपुर में रहने वाले लोगों के लिए कभी न खत्म होने वाला खतरा”बना हुआ है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें