अदृश्य ‘लैब्स’, पौधे-आधारित इफेड्रिन और अफगानिस्तान से लिंक- क्यों मेथ अमीरों की नई ‘हेरोइन’ बन गई है

ग्रेटर नोएडा/दिल्ली: बीकर, फ्लोरेंस फ्लास्क, पिपेट, बन्सन बर्नर, एसिड और आयोडीन क्रिस्टल सहित रसायनों का समूह- यह किसी विश्वविद्यालय का केमेस्टी लैब नहीं था, बल्कि ग्रेटर नोएडा के जैतपुर गांव में एक घर में चल ‘मेथ लैब’ था, जहां नौ विदेशी कथित तौर पर लगभग एक साल से पार्टी ड्रग्स बना रहे थे.

पिछले हफ्ते जब पुलिस टीम ने एक भूखंड पर खड़ी तीन मंजिला इमारत ‘शर्मा K 279’ पर छापा मारा तब तक किसी को भनक तक नहीं लगी थी कि अंदर क्या हो रहा था. अभियुक्तों ने पहली और दूसरी मंजिल किराए पर ली थी, और वह एक नार्मल बैचलर्स की तरह लगते थे जो ज्यादातर किसी से भी मतलब नहीं रखते थे. आसपास के निवासी और पड़ोसियों का कहना था कि वो खुद तक ही सीमित थे. 

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि मेथ, या मेथम्फेटामाइन, एक साइकोस्टिमुलेंट, ने भारतीय ड्रग बाजार पर कब्जा कर लिया है और हेरोइन और कोकीन इस दौड़ में काफी पीछे छूट चुके हैं. 

सूत्र ने कहा, “पिछले 4-5 वर्षों में, मेथ ने अमीर आदमी की ड्रग पार्टी में जगह बना ली है जो पहले हेरोइन थी. तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से घुसपैठ बढ़ी है. पड़ोसी देश के ड्रग व्यापार को हमेशा तालिबान द्वारा नियंत्रित किया जाता रहा है, और अब उसके शासन में आने के साथ ही तस्करी में काफी वृद्धि हुई है.” 

NCB के श्रोत ने खुलासा किया, “‘ग्लास’ और ‘आईस’ के रूप में भी जाना जाने वाला मेथ लगातार भारतीय बाजार में पैठ बना रहा है और इसकी तस्करी और खपत कानून प्रवर्तन एजेंसियों की नजर में है. यह मुख्य इसलिए है क्योंकि मेथ की न केवल देश में तस्करी की जा रही है, बल्कि जैतपुर की तरह छोटी और गुप्त प्रयोगशालाओं में इसका उत्पादन भी किया जा रहा है.” 

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