‘अंबेडकर बनाम सूरजमल’, दो मूर्तियों की लड़ाई- राजस्थान के एक शांत से शहर का माहौल आजकल क्यों है गर्म

भरतपुर: कुछ हफ़्ते पहले तक, राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित नदबई का बेलारा चौराहा एक शांत और सामान्य चौराहा था. लेकिन अब, यह एक राजनीतिक युद्ध का केंद्र बन गया है, वजह, एक प्रतिमा की स्थापना.

यहां लड़ाई एक तरफ डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर है और दूसरी तरफ जाट शासक महाराजा सूरजमल की प्रतिमा की स्थापना को लेकर, जिन्होंने भरतपुर की स्थापना की थी. जबकि भरतपुर अब अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित लोकसभा सीट है.

चौराहे पर अब चौबीसों घंटे दर्जनों पुलिस अधिकारियों और स्पेशल टास्क फोर्स की टीम द्वारा पहरा जाता है. साइट के चारों ओर टिन शेड बनाए गए हैं और सेल्फी प्रतिबंधित कर दिया गया है.

जाट शासक महाराजा सूरजमल की 15वीं पीढ़ी के वंशज अनिरुद्ध डी. भरतपुर ने दिप्रिंट को बताया, ‘जब राजमिस्त्री ने आकर लोगों से कहा कि यह अंबेडकर की मूर्ति है, तो बात फैल गई और लोगों को काफी दुख हुआ.’

बेलारा गांव के जाट समुदाय के लोग | फोटो: ज्योति यादव | दिप्रिंट

यह सब पिछले साल दिसंबर में शुरू हुआ था, जब नदबई नगर पालिका (नगर पालिका) की एक आम बैठक में भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले परशुराम, अंबेडकर और महाराजा सूरजमल, तीनों की मूर्तियों की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव रखा गया था. यह तीनों मूर्तियां शहर के तीन प्रमुख चौराहों पर स्थापित की जानी थी.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें